प्रेम #2

 मिलते हैं मुशाफिर चलते रास्तों में,

उन्हें मालूम हैं उनकी मंजिल कहाँ हैं,

मिल जाए कोई हमसफऱ रास्ते के दर्द भूल जाते हैं,

मंजिल के मिलने की खुशियाँ जोड़ जाते हम।🙏🏻🙏🏻

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